बॉलिवुड में जहां कई सितारे इन दिनों लॉकडाउन को अपनी फैमिली के साथ इंजॉय कर रहे हैं, कुछ स्टार्स आगे बढ़कर सरकार को आर्थिक मदद देने की भी बातें कही। यहां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ऐक्ट्रेस की, जो इस वक्त इस हालात को देखकर इतनी परेशान हो गईं कि उन्होंने सीधे इस जंग में उतरने का फैसला ले लिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं शाहरुख खान की फिल्म 'फैन' में नजर आईं शिखा मल्होत्रा की, जो इस वक्त कोरोना के मरीजों की देखभाल में जुटी हैं। शिखा यहां तक कैसे पहुंचीं, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि जब पीएम मोदी ने एक दिन के कर्फ्यू की घोषणा की थी तब उन्हें इसकी गंभीरता का एहसास नहीं था. लेकिन जब 21 दिन का लॉकडाउन हुआ, तब यह एहसास हुआ कि देश की स्थिति कुछ ज्यादा गंभीर है। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में आने से वह डिग्री होल्डर थीं। उन्होंने वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज ऐंड सफदरजंग हॉस्पिटल से बी एस सी (hons) नर्सिंग के डिग्री ली है। शिखा ने कहा, जब उन्होंने 21 दिन के लॉकडाउन के बारे में सुना तो ठान लिया कि नर्स होते हुए अब वह एक दिन भी घर पर नहीं बैठेंगी। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ आ गया था कि 21 दिन का बंद मतलब सब नॉर्मल नहीं है, मरीज आ रहे हैं और हॉस्पिटल में नर्सों की जरूरत होगी।' उन्होंने कहा कि अगली ही सुबह उन्होंने कोकिलाबेन हॉस्पिटल, धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, कूपर हॉस्पिटल, नानावटी हॉस्पिटल, बाला साहेब ठाकरे हॉस्पिटल मुंबई जैसे हॉस्पिटल में उन्होंने आवेदन भेजा, जिसके बाद बाला साहेब ठाकरे हॉस्पिटल से उन्हें बुलावा आया और वहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। शिखा ने कहा, 'पहले ही दिन मैं 45 कोरोना पेशंट के बीच थी और यह आसान बात नहीं। इसके लिए काफी एहतियात बरतनी होती है। हम नर्स की ट्रेनिंग के दौरान डिग्री लेते समय यह शपथ लेते हैं कि समय पड़ने पर सेवा करने से चूकेंगे नहीं...मुझे लगा कि अब वह समय आ गया है।'उन्हें खुद पर गर्व है कि इस वक्त जहां लोग सोशल मीडिया पर मनोरंजन करने में जुटे हैं, वहीं वह एक कदम आगे बढ़कर उन मरीजों की सेवाओं में अपना वक्त लगा रही हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे एहसास हो रहा था कि इस वक्त यदि मैं घर पर बैठूंगी तो खुद से कभी नजरें नहीं मिला पाऊंगी और तभी मैंने इस रास्ते आगे बढ़ने का फैसला ले लिया।' शिखा ने कहा कि अपॉइंटमेंट लेटर और आई कार्ड मिला और 3 घंटे की ट्रेनिंग लेकर वह नर्स की ड्यूटी पर लग गई हैं। उन्होंने कहा, 'अभी से हॉस्पिटल में 45 कोरोना पेशंट हैं, जिसमें दो फैमिली के सभी सदस्य हैं। कुछ लोग ठीक हो कर गए हैं और 2 मरीज ट्रैवल करके बाहर से आए थे। यहां पर इमरजेंसी की सिचुएशन है। उनके सम्पर्क में आना और सेवाएं देना आसान नहीं है। सिर से पांव तक कॉस्ट्यूम पहन कर काम करना होता है, लेकिन मुझे बहुत गर्व है। काम छोड़ने के बाद दोबारा काम करना आसान नहीं होता है। शाहरुख खान की फिल्म 'फैन', तापसी पन्नू के साथ 'रनिंग शादी' में भी काम करने के बाद पंजाबी फिल्म 'लकी कबूतर' में आई हूं। इसके अलावा एक तमिल फिल्म की जिसकी शूटिंग श्रीलंका में हुई थी। इसी साल 7 फरवरी को संजय मिश्रा के साथ वाली फिल्म 'कांचली' आई। मैं कहना चाहूंगी कि उन लोगों को आगे आना चाहिए जो डिग्री होल्डर हैं। भले ही वह क्यों न हीरो हिरोइन हों।' उन्होंने कहा, 'जब तक पीएम यह अनाउंस नहीं कर देते कि अब सब कुछ नॉर्मल है, तब तक मैं अपनी सेवाएं देती रहूंगी। फिर चाहे तीन-चार या कितने महीने भी क्यों न लग जाए।' इस वक्त कोरोना की परेशानियों से जूझ रहे लोगों को उन्होंने कहा है कि हमें डरना नहीं बल्कि एहतियात बरतना है। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले तो लोग बाहर जाएं ही नहीं क्योंकि आपको नहीं पता कि बाहर किन चीजों में जंग है और कौन इंसान क्या चीज हो रहा है। यह इसी तरीके से फैल रहा है लोगों से कहना चाहूंगी लोग घर पर ही रहे घर पर रहते हुए हाथ धोते रहें। किसी जरूरी काम से अगर बाहर गए थे तो घर पर आकर सबसे पहले बाथरूम में जाकर नहाना चाहिए । जो भी कपड़े पहने हैं उसी समय धो दें । गरम पानी पीना और गर्म पानी से नहाना अच्छा रहेगा । रुमाल और टिशु पेपर का इस्तेमाल करें। अगर कोई ग्रसित व्यक्ति दिखे तो उसे से 1 मीटर दूरी बनाकर रखें। इसके साथ ही अस्पताल में तुरंत इन्फॉर्म करें। लोग डर के मारे अस्पताल नहीं जा रहे हैं लेकिन वे डरे नहीं। मैं अस्पताल में रह कर देख रही हूं कि यहां बेहतर सेवाएं दी जा रही है। जिनके हाथ पर ठप्पा लगाकर घर भेजा जा रहा है उनके घर पर जाकर पुलिस और अस्पताल के कर्मचारी चेक कर रहे हैं। पूरी एहतियात बरती जा रही है। ऐसे पेशंट हैं उनके लिए एंब्युलेंस भेजी जा रही है। इसमें कोई डरने की बात नहीं है । बच्चे और बूढ़े को तो बिल्कुल बाहर ही नहीं जाने देना चाहिए।' उन्होंने बताया, 'जब मैं 13 साल की थी तब मेरी पूरी बॉडी में पैरालाइसिस का अटैक हुआ था, तब मैं खुद ही इस चीज से बाहर निकली। मुझे 3 साल लगे पैरालाइसिस से खुद को ठीक करने में। 3 साल तक बिस्तर और वीलचेयर पर थी मैं। मेरी पढ़ाई छूट गई थी। ठीक होने के बाद मैंने ओपन स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की।' उन्होंने कहा, 'मैं यह काम जनसेवा के लिए काम कर रही हूं, मैं सरकार का साथ देने के लिए काम कर रही हूं। ऐप्लिकेशन में ही साफतौर पर लिखा हुआ था कि फ्री में काम करूंगी, जबकि कोरोना वायरस के लिए जिन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल से स्पेशली बुलाया जा रहा है उन्हें बाकायदा 80 हजार से लाख सवा लाख सैलरी दे रहे हैं।
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