डिजिटल डेस्क, पेशावर। पाकिस्तान में एक हिंदू मंदिर को इस हफ्ते मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने नष्ट कर दिया था। इसे अब प्रांतीय सरकारी फंड का इस्तेमाल करके फिर से बनाया जाएगा। बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहाट के करक जिले में बुधवार को स्थानीय मौलवियों की अगुआई में लगभग 1,500 लोगों ने हिंदू मंदिर को तोड़ दिया और इसमें आग लगा दी थी। भीड़ ने इमारत को आग लगाने से पहले दीवारों को तोड़ने के लिए स्लेजहेमर का इस्तेमाल किया।
प्रांतीय सूचना मंत्री कामरान बंगश ने कहा, 'हमें हमले से हुए नुकसान का अफसोस है।' उन्होंने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि मुख्यमंत्री ने मंदिर और आसपास के घर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया है। हिंदू समुदाय के समर्थन से निर्माण जल्द से जल्द शुरू होगा। साइट पर सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। वहीं पाकिस्तान की टॉप कोर्ट ने अधिकारियों को मंदिर को तोड़ने की घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। बता दें कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा आम है, जहां मुसलमान 97 प्रतिशत आबादी और हिंदू लगभग दो प्रतिशत हैं।
इसी तरह की परिस्थितियों में 1997 में भी एक मंदिर को नष्ट किया गया था। इसके बाद इसे दोबारा बनाया गया। प्रांतीय राजधानी पेशावर से ये मंदिर लगभग 160 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हालांकि कोई हिंदू उस क्षेत्र में नहीं रहता है। भक्त अक्सर हिंदू संत श्री परमहंस को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उस मंदिर में जाते हैं। संत श्री परमहंस की भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान 1947 में मौत हो गई थी। संत परमहंस का जन्म पाकिस्तान में ही हुआ था।
जिला पुलिस प्रमुख इरफानुल्ला खान ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में लगभग 45 लोगों को हिरासत में लिया है। इसमें एक स्थानीय मौलवी मौलाना शरीफ शामिल है, जिन पर भीड़ को उकसाने का आरोप है। खान ने कहा कि पुलिस को पाकिस्तान की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टियों में से एक जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के जिला नेता मौलाना मिर्ज़ा अकीम की भी तलाश है। पिछले साल, संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए "कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न" की लिस्ट में रखा था।
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