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राजघराने से ताल्‍लुक रखते थे SD Burman, चप्‍पल चोरी न हो इसलिए अपनाते थे ये उपाय

सचिन देव बर्मन। भारतीय म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री का वो नाम जिसकी तरह बनना हर किसी का सपना रहा है। त्र‍िपुरा राजघराने से ताल्‍लुक रखने वाले एसडी बर्मन साहब ने 1937 में शुरुआत तो बंगाली फिल्‍मों से की थी, लेकिन हिंदी फिल्‍मों में संगीत को उन्‍होंने नया मुकाम दिया। 100 से ज्‍यादा फिल्‍मों के म्‍यूजिक डायरेक्‍टर एसडी बर्मन साहब ने लता मंगेशकर से लेकर मोहम्‍मद रफी, किशोर कुमार से लेकर मुकेश तक हर किसी के करियर को सातवें आसमान पर पहुंचाया। बर्मन साहब जितने बेहतरीन संगीतकार थे, उससे कहीं ज्‍यादा दिलचस्‍प इंसान थे। उनके बारे में ऐसे कई किस्‍से हैं, जो आज भी फिल्‍मी दुनिया की हर शाम को खुशनुमा बना देते हैं।

Birthday Special: Untold Stories of Music music maestro Sachin Dev Burman सचिन देव बर्मन ने भारतीय फिल्‍मों में संगीत को एक नई ऊंचाई दी थी। 100 से ज्‍यादा फिल्‍मों में उन्‍होंने संगीत दिया। उनकी विरासत को पंचम दा ने आगे बढ़ाया। लेकिन करियर के इतर असल जिंदगी में भी एसडी बर्मन साहब बड़े मजेदार इंसान थे। सुनिए उनके कुछ मजेदार किस्‍से।


राजघराने से ताल्‍लुक रखते थे SD Burman, चप्‍पल चोरी न हो इसलिए अपनाते थे ये उपाय

सचिन देव बर्मन। भारतीय म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री का वो नाम जिसकी तरह बनना हर किसी का सपना रहा है। त्र‍िपुरा राजघराने से ताल्‍लुक रखने वाले एसडी बर्मन साहब ने 1937 में शुरुआत तो बंगाली फिल्‍मों से की थी, लेकिन हिंदी फिल्‍मों में संगीत को उन्‍होंने नया मुकाम दिया। 100 से ज्‍यादा फिल्‍मों के म्‍यूजिक डायरेक्‍टर एसडी बर्मन साहब ने लता मंगेशकर से लेकर मोहम्‍मद रफी, किशोर कुमार से लेकर मुकेश तक हर किसी के करियर को सातवें आसमान पर पहुंचाया। बर्मन साहब जितने बेहतरीन संगीतकार थे, उससे कहीं ज्‍यादा दिलचस्‍प इंसान थे। उनके बारे में ऐसे कई किस्‍से हैं, जो आज भी फिल्‍मी दुनिया की हर शाम को खुशनुमा बना देते हैं।



इंडस्‍ट्री में मशहूर हैं कंजूसी के क‍िस्‍से
इंडस्‍ट्री में मशहूर हैं कंजूसी के क‍िस्‍से

बंगाल प्रेजिडेंसी में 1 अक्‍टूबर 1906 को पैदा हुए एसडी बर्मन की मां राजकुमारी निर्मला देवी थीं। वह मण‍िपुर की राजकुारी थीं, जबकि उनके पिता एमआरएन देव बर्मन त्रिपुरा के महाराज के बेटे थे। सचिन देव बर्मन 9 भाई-बहन थे। पांच भाइयों में वह सबसे छोटे थे। यह दिलचस्‍प है कि राजघराने से ताल्‍लुक रखने के बावजूद सचिन देव बर्मन के कंजूसी के किस्‍से पूरी इंडस्‍ट्री में मशहूर हैं। यही नहीं, वह नाराज भी जल्‍दी हो जाते थे और पलभर में ही नाराजगी दूर भी हो जाती थी।



फुटबॉल के शौकीन थे, टीम हारती तो नहीं बनाते थे खुशनुमा गीत
फुटबॉल के शौकीन थे, टीम हारती तो नहीं बनाते थे खुशनुमा गीत

एसडी बर्मन खर्च नहीं करते थे। इसलिए उन्‍हें इंडस्‍ट्री में बहुत से लोग कंजूस कहते थे। लेकिन उन्‍हें खाने-पीने का भी उतना ही शौक था। फुटबॉल उन्‍हें बहुत पसंद था। बताया जाता है कि एक बार जब मोहन बगान की टीम हार गई तो उन्होंने गुरुदत्त से कहा कि आज वह खुशी का गीत नहीं बना सकते हैं। कोई दुख वाला गीत है तो बनवा लो।



रेडियो स्‍टेशन से की थी शुरुआत
रेडियो स्‍टेशन से की थी शुरुआत

अभिमान, ज्वेल थीफ, गाइड, प्यासा, बंदनी, सुजाता, टैक्सी ड्राइवर जैसी फिल्‍मों में ऐतिहासिक संगीत देने वाले एसडी बर्मन ने म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री में स‍ितारवादन के साथ कदम रखा था। कोलकाता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद वह 1932 में कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर गायक के तौर जुड़े।



चप्‍पल चोरी का डर और तरकीब
चप्‍पल चोरी का डर और तरकीब

एसडी बर्मन साहब का मजाकिया अंदाज खास मशहूर रहा है। उनके बेटे आरडी बर्मन की बायोग्राफी में खगेश देव बर्मन ने लिखा है, 'मंदिर में घुसने से पहले सचिन देव बर्मन साहब जूते या चप्‍पल की जोड़ी एकसाथ नहीं रखते थे। वह एक चप्‍पल कहीं तो दूसरी चप्‍पल कहीं और रखते थे। जब उनसे किसी ने इसके बारे में पूछा तो उन्‍होंने जवाब दिया- आजकल चप्‍पल चोरी की वारदात बढ़ गई हैं। इस पर उनके साथी ने पूछा कि यदि चोर ने चप्‍पल के ढेर में से दूसरी चप्‍पी भी निकाल ली तो? इस पर एसडी बर्मन ने जवाब दिया कि यदि चोर इतनी मेहनत करता है, तो वह वाकई इसे पाने का हकदार है।'



साहिर लुध‍ियानी से 1 रुपये का झगड़ा
साहिर लुध‍ियानी से 1 रुपये का झगड़ा

एसडी बर्मन और साहिर लुधियानवी के बीच हुई अनबन भी इंडस्‍ट्री में बहुत मशहूर है। गुरु दत्त अपनी फिल्‍म 'प्यासा' बना रहे थे। इस अनबन की वजह थी गाने का क्रेडिट किसे मिले। एसडी बर्मन के जीवन पर किताब लिखने वाली लेखिका सत्या सरन ने एक इंटरव्‍यू में बताया, 'यह मामला इतना बढ़ गया था कि साहिर लुध‍ियानवी ने सचिनदेव बर्मन से कहा कि वह एक रुपये अधिक फीस चाहते हैं। इस जिद के पीछे साहिर का तर्क यह था कि एसडी के संगीत की लोकप्रियता में उनका बराबर का हाथ था। एसडी बर्म ने शर्त को मानने से इनकार कर दिया और फिर दोनों ने कभी साथ में काम नहीं किया।'



लता मंगेशकर से भी हुई थी अनबन
लता मंगेशकर से भी हुई थी अनबन

एसडी बर्मन साहब का लता मंगेशकर से भी झगड़ा हुआ था। एक बार रेडियो इंटरव्यू में लता जी ने कहा, 'हमारी अनबन 1958 की फिल्म 'सितारों से आगे' के एक गीत को लेकर हुई थी। मैंने 'पग ठुमक चलत...' गीत रिकॉर्ड किया तो पंचम दा बहुत खुश हुए और इसे ओके कर दिया। लेकिन बर्मन साहब परफेक्शनिस्ट थे। उन्होंने मुझे फोन किया कि वो इस गीत की दोबारा रिकॉर्डिग करना चाहते हैं। मैं कहीं बाहर जा रही थी, इसलिए मैंने मना कर दिया। बर्मन साहब इस पर नाराज हो गए। इसके बाद कई साल तक हम दोनों ने साथ में काम नहीं किया।'



...तब पंचम दा ने प‍िता को मनाया
...तब पंचम दा ने प‍िता को मनाया

लता और सचिन देव बर्मन की इस अनबन को उनके बेटे आरडी बर्मन यानी पंचम दा ने ही सुलझाया था। चार साल बाद 1962 में जब राहुल देव बर्मन अपनी फिल्म 'छोटे नवाब' का म्‍यूजिक कंपोज कर रहे थे, तब उन्होंने पिता एसडी बर्मन से कहा कि म्‍यूजिक डायरेक्‍टर के तौर पर वह अपनी पहली फिल्म में लता दीदी से गाना गवाना चाहते हैं। इसके बाद दोनों बाप-बेटे में काफी देर बातचीत हुई और आख‍िरकार एसडी बर्मन मान गए।



सचिन देव बर्मन और सचिन तेंदुलकर का कनेक्‍शन
सचिन देव बर्मन और सचिन तेंदुलकर का कनेक्‍शन

यह बात भी दिलचस्‍प है कि महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का नाम भी एसडी बर्मन के ही कारण पड़ा है। दरअसल, सचिन तेंदुलकर के दादा सचिन देव बर्मन के बहुत बड़े फैन थे। उन्‍होंने ही प्रेरित होकर अपने पोते का नाम सचिन तेंदुलकर रखा था। सचिन देव बर्मन की याद में त्र‍िपुरा सरकार हर साल सचिन देव बर्मन मेमोरियल अवॉर्ड भी देती है। 31 अक्‍टूबर 1975 को एसडीबर्मन साहब का निधन हो गया। साल 2007 में एसडी बर्मन की याद में सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया।





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