के केस में सीबीआई द्वारा गठित की गई एम्स की फरेंसिक टीम ने अपनी रिपोर्ट में मर्डर की किसी भी संभावना से इनकार किया है। एम्स की टीम ने कहा है कि उनकी जांच के मुताबिक सुशांत की मौत फांसी लगाने के कारण हुई और इसलिए यह आत्महत्या है। एम्स के फरेंसिक पैनल की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सबकी नजरें अब बॉम्बे हाई कोर्ट पर हैं कि वह को जमनात देता है या नहीं। ड्रग केस में हाई कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शौविक चक्रवर्ती और अन्य 3 लोगों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है और यह अगले हफ्ते आ सकता है। रिया के वकील ने दिए हैं ये तर्क रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक की तरफ से केस लड़ रहे वकील सतीश मानेशिंदे ने कोर्ट में कहा था कि उनके क्लायंट के खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता है जिसमें कि जमानत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि रिया और शौविक पर लगाए गए आपराधिक साजिश के साथ 'ड्रग्स की ट्रैफिकिंग के लिए फाइनैंसिंग' के आरोप रिया को जमानत देने के खिलाफ काफी नहीं हैं। सतीश मानेशिंदे ने यह तर्क भी रखा है कि दिल्ली हाई कोर्ट की एक डिवीजनल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि अगर ड्रग्स की मात्रा बहुत कम है तो जमानत दे दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच में रिया के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं की गई है लेकिन उन पर सुशांत के लिए ड्रग्स खरीदने का आरोप लगाया है जो कि बेहद कम मात्रा में थी इसलिए उन्हें जमानत दे दी जानी चाहिए। क्या कहते हैं एक्सपर्ट वकील अमित देसाई कहते हैं कि कानून ड्रग्स की कम मात्रा पर इतना सख्त नहीं है और ऐसा कई फैसलों में देखा गया है। हालांकि अगर एनसीबी ने सख्त आरोप लगाए हैं तो वह इस कम मात्रा के आधार पर जमानत के लिए काफी नहीं होंगे। मुंबई के एक अन्य वकील प्रणव बढेका ने कहा कि एनसीबी के केस में मामला ड्रग्स की बहुत कम मात्रा का दिखता है इसलिए जमानत मिल जानी चाहिए।
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