Rare and unknown facts about her life Lata Mangeshkar: लता मंगेशकर आज अपना 91वां जन्मदिन मना रही हैं। उनकी लाइफ में एक ऐसा भी समय आया जब उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी।
आज के दिन का इतिहास के साथ बड़ा सुरीला रिश्ता है। आज 28 सितम्बर को लता मंगेशकर अपना 91वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं। पिछली पीढ़ी ने लता की शोख और रोमानी आवाज का जमकर लुत्फ उठाया है और मौजूदा पीढ़ी उनकी आवाज की खूब दीवानी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर की लाइफ में एक ऐसा भी समय आया जब उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी। लता से जुड़े कई मजेदार किस्से इंटरनेट की दुनिया में वायरल हैं। आइए, उनके बर्थडे पर जानें ऐसे ही कुछ घटनाओं से जुड़ा किस्सा।
जब लता की जान लेने तक की साजिश रची गई
अपनी मधुर आवाज से पिछले कई दशकों से संगीत के खजाने में हर दिन नए मोती भरने वाली लता मंगेशकर 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुई थीं। लता ने अपनी आवाज और अपनी सुर साधना से बहुत छोटी उम्र में ही गायन में महारत हासिल की और विभिन्न भाषाओं में गीत गाए। लता का यह दर्दभरा किस्सा उस वक्त का है, जब वह केवल 33 साल की थीं। लता को गाने की शिक्षा तब से मिली है जिस उम्र में बच्चे बोलना शुरू करते हैं, लेकिन जब वह अपने करियर की बुलंदियों को छूने लगीं तो उनकी जान लेने तक की साजिश रची गई।
तब गाना से उनका नाता ही टूट गया था
लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब 'ऐसा कहां से लाऊं' में इस किस्से का जिक्र किया है, जिसमें कहा गया है कि 1962 में लता मंगेशकर को धीमा जहर दिया गया था। एक दिन अचानक उनके पेट में तेज दर्द हुआ और फिर उन्हें थोड़ी देर में उन्हें कई बार उल्टियां हुईं। इस वॉमिट का रंग हरा था और उनकी हालत इतनी खराब थी कि वह चल भी नहीं पा रही थीं। उनका शरीर शिथिल पड़ गया और उनका बदन काफी दर्द करने लगा। बताया गया है कि इस वजह से उन्हें करीब 3 महीने तक बेड रेस्ट करना पड़ा और गाना से उनका नाता ही टूट गया था। हाल इतनी खराब हो चुकी थी आंतों में हमेशा दर्द बना ही रहता।
उनके घर का कुक हमेशा के लिए गायब हो गया
हालांकि, उनके साथ इस तरह की बुरी नीयत कौन रख रहा था इसका खुलासा तो नहीं हुआ, लेकिन कहते हैं कि इस घटना के ठीक बाद उनके घर का कुक हमेशा के लिए गायब हो गया।
ऐक्टिंग के लिए कैमरे के सामने खड़ा कर दिया गया था
हालांकि, गाने से पहले उन्होंने ऐक्टिंग की दुनिया में भी कदम रखने की कोशिश की थी। गुड्डे-गुड़ियों से खेलने या पढ़ने-लिखने की उम्र में ऐक्टिंग करने के लिए कैमरे के सामने खड़ा कर दिया गया था। उनका पहला प्यार तो उस समय भी संगीत ही था, लेकिन पिता दीनानाथ मंगेशकर की असामयिक मृत्यु के बाद उन्हें अपना ही नहीं, अपने चार छोटे बहन-भाइयों का भी पेट पालने की जिम्मेदारी उनपर आ गई।
गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया
लता को लेकर यह किस्सा काफी मशहूर है जब 13-14 साल की उम्र में उन्हें फिल्म के सेट पर जबरदस्त चांटा लगा था। बात शायद साल 1942 की है। फिल्म की शूटिंग चल रही थी। मां-बेटी के बीच संवाद का एक दृश्य था। मां कुछ गुस्से में थी और बेटी को लगातार डांटे जा रही थी। डांटते-डांटते उसे इतना गुस्सा आया कि उसने बेटी के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया।
सेट पर चांटा खाकर गिर गई थीं लता
बेटी की भूमिका निभा रही दुबली-पतली सी लड़की थप्पड़ को झेल नहीं पाई और गिर कर गुमसुम हो गई। सेट पर अफ़रा-तफ़री मच गई। उसे उठाने का प्रयास करने वाले लोगों ने देखा कि उसके कान से खून बह रहा है। डॉक्टर को बुलाया गया और दवा-गोली देकर उसे आराम करने के लिए घर भेज दिया गया। सेट पर चांटा खाकर गिर जाने वाली तेरह-चौदह साल की वह दुबली-पतली लड़की थीं लता मंगेशकर।
पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे कई सम्मान
यह वही लता मंगेशकर थीं, जिन्हें आज दुनिया स्वर-सम्राज्ञी, कोकिल-कंठा और वॉयस ऑफ़ मिलेनियम जैसे न जाने कितने नामों से पुकारती है। वही लता मंगेशकर जिन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण ही नहीं देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से भी अलंकृत किया चुका है।
गायिका के रूप में नाम दिया गया था कामिनी
लता की प्रतिभा को सबसे पहले संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने पहचाना, लेकिन उन्हें लता मंगेशकर बनाया फिल्म महल के लिए संगीतकार खेमचंद्र प्रकाश के निर्देशन में गाये गये गीत 'आएगा आने वाला' ने। बहुत कम लोगों को पता होगा कि पहले इस गीत की गायिका के रूप में नाम दिया गया था कामिनी, लेकिन गीत अत्यधिक लोकप्रिय होने के बाद संगीत प्रेमियों और फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के आग्रह पर असली गायिका का नाम उजागर किया गया- लता मंगेशकर। उसके बाद तो लता एक के बाद एक पायदान चढ़ती चली गईं।
36 भाषाओं में गीत रिकॉर्ड करा चुकी हैं लता
लता आज तक कुल कितने गीत गा चुकी हैं, कोई नहीं जानता। स्वयं लता भी नहीं। वह कहती हैं मैंने कभी गिनती नहीं की। जहां तक अन्य लोगों का सवाल है, जितने मुंह उतनी बातें। कुछ लोग तो यह संख्या 50,000 तक बताते हैं। गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में एक बार छपा था कि लता ने 1948 से 1987 के बीच कम से कम 30,000 गीत तो रिकॉर्ड कराए ही हैं। सही संख्या भले ही किसी को न पता हो, लेकिन अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि लता ने सिर्फ एक संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के निर्देशन में ही 700 से अधिक गीत रिकॉर्ड कराए हैं। संभवतः सर्वाधिक भाषाओं के गीत गाने का रेकॉर्ड भी उन्हीं के नाम हो। लता अब तक 36 भाषाओं में गीत रिकॉर्ड करा चुकी हैं।
मोहम्मद रफ़ी से वह काफ़ी वक़्त नाराज़ रहीं
स्वर-सम्राट कहे जाने वाले गायक मोहम्मद रफ़ी से वह काफ़ी वक़्त इसलिए नाराज़ रहीं क्योंकि रफ़ी साहब ने उनके एक अभियान में शामिल होना उचित नहीं समझा। लता चाहती थीं कि गीतों की रॉयल्टी में गायक-गायिकाओं को भी हिस्सा दिया जाए। जबकि स्वभाव से अति सहज रफ़ी साहब का कहना था कि गायकी का मेहनताना लेने के बाद रॉयल्टी की भी अपेक्षा करना उचित नहीं है।
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